कविताओं का खजाना

दिल से दिल तक

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  • ।। झूठा गुरूर ।।
    गुरूर किसका है इतना तुम्हे, बसर है दोनोकाही यहा,हम दोनोही है एक जैसे, तुम भी मिट्टी मैं भी मिट्टी ,कफन में कोई जेब नही, नाही कब्र में कोई खजाना ,कर्मो का है सिलसिला कुछ ऐसा, खारिज़ यहा हैं हर सिफरीज की चिट्ठी। साईश १४.१०.२०२१
  • ।।उम्र का हिसाब।।
    चला नही जाता अब, चाल में कुछ बदलाव सा है,जिंदगी की भाग दौड़ में, लग रहा अब ठराव सा है,मुझसे किसीने कहा था तब, ऐसी कुछ बातों का सच,पूर्वकथित मेरे कर्मो का हिसाब, उम्र का कठोर पड़ाव सा है। छोड़ आया था में भी बूढ़े पिता को , अंजान दुनिया में तब,दिशाहीन खड़ा हूं मेंContinue reading “।।उम्र का हिसाब।।”
  • हिसाब रिश्तों का
    दोस्त बनकर ओढ़ना हमें नकाब नही आता,झूट की हिफाजत हो ऐसा हमें जवाब नहीं आता,दोस्ती में अपने रिश्तों का सौदा करकेलेना हमें  उसका हिसाब नही आता । साईश १०.१०.२०२१
  • समझदारी
    खाली बर्तनों में भी आवाज कई होते है,पड़े लिखे अनपढ़ लोगों के भी अंदाज कई होते है,खाली दिमाग के ताबूत को अपने समझ से खोलो,समझदार लोगों की खामोशी में भी अल्फाज कई होते है। साईश ४/१०/२०२१
  • भ्रष्टाचार अब हुआ शिष्टाचार
    दुनिया में अब बईमान हर किरदार होगया हैकानून तो बस अमीरों का हथियार  होगया हैजब मक्कारो की ही चलती यह सरकार हैअब बासी मेरे लिए हर अखबार होगया है। साईश ३०/०९/२०२१
  • केहेत भगत सिंग
    आदर्शवादी विचार वो मेरे, जैसे मीठे सपने थे,त्याग शरीर अपना मैंने, जिनको बनाए अपने थे बम ना फोड़ा था उस दिन, जब नारे हमने लगाए थे,भैरे भी जो सुन पड़े , निडर हम गुर्राए थे, लहू ना मुझको था बहाना, ना खून की मांग दिखाई थी,जालीमो को जो समझ आए,  बुलंद आवाज वो सुनाई थीContinue reading “केहेत भगत सिंग”
  • बुलंद आवाज
    जिंदगी के अल्फासो में, बेचैनी मन में छाई थीआयिनो के बिखरे टुकड़ों में, बिखरी अपनी परछाई थी लोगो में था खोया, चुभती हरपाल  वो तन्हाई थीअपनो में रहकर भी, अलग खुदडको कहलाई थी अपना समझूं किसे, अविश्वास की गहराई थीखंजर खूपा उसिने, जो केहेट मेरी परछाई थी आसमान न झुका था, आसू बदलो ने जबContinue reading “बुलंद आवाज”
  • मौत एक हसीना
    जिंदगी तो एक छलावा है ,और मौत एक खूबसूरत हसीना हैशरीर तो मेरे बस मैले कपड़े है, और मन मेरा एक निर्मल कविता हैखूबसूरती तो दर्पण मन का पावन है, पर धोया जब भी मुख मैंने पाया  हमेशा ही रावण हैमौत तो मुकम्मल नींद है , जिस में बस मधुर शांति हैपरंतु जीवन में तोContinue reading मौत एक हसीना
  • देश की बेटी
    दुनियां के ताने अपने झोली में, जो भर भर वो लेती थीभूल गए सब लोग यहां, वो इसी देश की बेटी थी पट्टी बांध कानून था अंधा, यहा लोग भी अंधे होगएबेटी बचाओ का नारा लेकर, अपनी बेटी को ही खोगए चीर उसका हरण किया था, मन भी उसका तोड़ गएदेवी समान बेटी को वो,Continue reading “देश की बेटी”